Couplets
अब कोई दर नहीं खुलता
खुद को भी जलादूँ मैं पर उजाला नहीं मिलता
ये कैसा अँधेरा फैल रहा है
तसल्ली के लिए कोई जुगनू तक नहीं मिलता
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धुआँ तो सब कुछ छुपता है
पर राख कहानियाँ छोड़ जाती है
झूठे इस शोर गुल में
मेरी खामोशी भी फ़साना बन जाती है
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अल्फ़ाज़ नहीं मैं एहसास लिखता हूँ
मुझपर जो गुजरी है, मैं वही बात लिखता हूँ
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एक अजब सी उल्झन है …
इन दिनो सपनोंमें जिंदगी धुंडता हूँ
वरना जिंदगी में सपने कहाँ हैं
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खुद को भी जलादूँ मैं पर उजाला नहीं मिलता
ये कैसा अँधेरा फैल रहा है
तसल्ली के लिए कोई जुगनू तक नहीं मिलता
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धुआँ तो सब कुछ छुपता है
पर राख कहानियाँ छोड़ जाती है
झूठे इस शोर गुल में
मेरी खामोशी भी फ़साना बन जाती है
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अल्फ़ाज़ नहीं मैं एहसास लिखता हूँ
मुझपर जो गुजरी है, मैं वही बात लिखता हूँ
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एक अजब सी उल्झन है …
इन दिनो सपनोंमें जिंदगी धुंडता हूँ
वरना जिंदगी में सपने कहाँ हैं
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