Couplets
अब कोई दर नहीं खुलता खुद को भी जलादूँ मैं पर उजाला नहीं मिलता ये कैसा अँधेरा फैल रहा है तसल्ली के लिए कोई जुगनू तक नहीं मिलता ------------------------ x ------------------------ धुआँ तो सब कुछ छुपता है पर राख कहानियाँ छोड़ जाती है झूठे इस शोर गुल में मेरी खामोशी भी फ़साना बन जाती है ------------------------ x ------------------------ अल्फ़ाज़ नहीं मैं एहसास लिखता हूँ मुझपर जो गुजरी है, मैं वही बात लिखता हूँ ------------------------ x ------------------------ एक अजब सी उल्झन है … इन दिनो सपनोंमें जिंदगी धुंडता हूँ वरना जिंदगी में सपने कहाँ हैं ------------------------ x ------------------------