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Showing posts from April, 2020

Couplets

अब कोई दर नहीं खुलता खुद को भी जलादूँ मैं पर उजाला नहीं मिलता  ये कैसा अँधेरा फैल रहा है तसल्ली के लिए कोई जुगनू तक नहीं मिलता  ------------------------ x ------------------------ धुआँ तो सब कुछ छुपता है पर राख कहानियाँ छोड़ जाती है झूठे इस शोर गुल में मेरी खामोशी भी फ़साना बन जाती है ------------------------ x ------------------------ अल्फ़ाज़ नहीं मैं एहसास लिखता हूँ मुझपर जो गुजरी है, मैं वही बात लिखता हूँ ------------------------ x ------------------------ एक अजब सी उल्झन है … इन दिनो सपनोंमें जिंदगी धुंडता हूँ वरना जिंदगी में सपने कहाँ हैं ------------------------ x ------------------------

Ankhein

आँखें छुपाती हैं ज़्यादा बताती है कम याद वो आये तो हो जाती है नम इज़हार भी ये करती है तकरार भी ढाल भी है ये तलवार भी चमकती भी है ये किसी के आने से मायूस भी हो जाती है उसके जाने से धुंदलीसी यादों में  किसी को तलाशती है कभी बेखयाली में बस ... यूँ ही बरस जाती है

Alvida

न रुखसत किया ना अलविदा किया वो क्यों जुदा हुआ बताकर नहीं गया ना उसने पर्दा गिराया ना ही दिया बुझाया बस एक दिवार बनाकर चला गया शिकवा इस इंतज़ार से है रंज एक बात का है वो तो हाथ मिलाकर भी नहीं गया

One way love

किसका रास्ता तकती रहती है मेरी आंखें एक अरसा गुजर गया कोई भी तो नहीं आया हां, एक खामोश सा खालीपन है भरा पड़ा ना कभी उसने मिलने का वादा ही किया कसूर तो अपना ही था के उम्मीदोंको जगाये रखा वो दोस्ती जताते रहें और हम मोहबत तलाशते रहें अब तो ये अपनी ही मजबूरी हो गयी है के अपनी तन्हाई से बाते करता हूँ और खामोशियों से लड़ के पुरानी तस्वीरें लिए सो जाता हूँ

Ek Aur

जो ख़ुशी के बदले पाए दर्द के गीत मैंने तो सीने में अपने दफन कर दिए जज़्बात मैंने सूखे से सावन ने भिगो दिया था मुझे पर आंखों में महसूस की थी बरसात मैंने मुझसे ना पूछो सुबह के बारे में तुम्हे मालूम नहीं गुज़ारी है कैसे रात मैंने तन्हाईकी कोई बात कैसे करेगा मुझ से राज़ ये अपने ही पास रखा है मैंने

Flashback

आठवतय तूला आपली भेट झाली होती चिंब पावसाळ्यात आणि आपण मात्र चांदण्यात तरंगत होतो श्रावणाने त्याचे रंग विखुरले होते ओल्या हवेत, ओले देह शहारले होते भावनांची कविता आपण डोळ्यात वाचली होती गंधात तुझ्या-माझ्या सारी बाग बहरली होती आज पुन्हा फक्त एकदा तो पाउस येउ दे थकलेले दाटलेले हे मळभ मोकळे होऊ दे बस्स एकदा तुझी भेट व्हावी अन श्वासांची माझ्या पूर्तता व्हावी.