Tum
तूम
हर लम्हा अब तेरे नाम का, जैसे इक दुआ बन गया
तेरे बिन जो अधूरा था मैं, अब तेरा पता बन गया
तेरे बिना साँसें चलती थीं, पर हर पल अधूरी सी
तेरे आने से ही जैसे, ज़िंदगी खुद में हुई पूरी सी
मुस्कराती हो तूम तो भीगने लगे हर सपना
बाहों के साए में तेरे, मिल गया खुद से अपना
रातों से जब पूछा मैंने “सुबह कहाँ है मेरी?”
तेरी हँसी में जो चमका, वही सुबह की सेहरी
तू जो पास है, तो हर एक पल गीत बने
तपती धूप में, जमीं भी प्रीत बने
तू जो मुस्कुरा दे ज़रा, तो हर दर्द भी सो जाए
तेरे साये में ही ये दिल, खुद से भी रोशन हो जाए
बातें तेरी लोरी बनके, रातों में गूँजती हैं
तेरे ख़्वाबों की गलियों में, मेरी सुबहें रूठती हैं
अब तो ... साँसों की रवानी भी, बस तुझसे ही जुड़ी है
ज़िंदगी की तस्वीर भी, तेरी बातों से सजी है
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