Khafaa... Apne Aap Se
मैं बस अपने दिल की खामोशियोंसे बात करता हूँ
दोस्त भी आये तो नज़रन्दाज़ करता हूँ
खुशबू भी आये कभी चमन से
मैं अपनी साँसे बंद करता हूँ
कोई पास भी आये बाहें फैलायें
मैं बस दूर से ही सलाम करता हूँ
कभी नींद भी आये पल्कोंमें मेरे
मैं करवट बदल उससे पर्दा करता हूँ
ज़िंदगी कभी सुकून भी ले आती है
मैं दिल पे ज़ख्म कर लेता हूँ
हाँ मैं अपने आपसे भी खफा हूँ
दोस्त भी आये तो नज़रन्दाज़ करता हूँ
खुशबू भी आये कभी चमन से
मैं अपनी साँसे बंद करता हूँ
कोई पास भी आये बाहें फैलायें
मैं बस दूर से ही सलाम करता हूँ
कभी नींद भी आये पल्कोंमें मेरे
मैं करवट बदल उससे पर्दा करता हूँ
ज़िंदगी कभी सुकून भी ले आती है
मैं दिल पे ज़ख्म कर लेता हूँ
हाँ मैं अपने आपसे भी खफा हूँ
Comments
Post a Comment