Tum
तूम
तन्हा था मगर उदास नहीं था मैं
ख़ुद ही की ख़ामोशी में पास था मैं
तेरी मुस्कान ने जो दस्तक दी
रात के सन्नाटे से रास था मैं
हर बात में तेरी एक लौ सी थी
उस उजाले में ही खास था मैं
कुछ सच्चाइयाँ
भी चुभती रहीं
फिर भी … उस दर्द में ही रास था मैं
तुम से
मिलके तो एक दुनिया खुल गई
जिससे अनजान था, उसीके तो पास था मैं
Comments
Post a Comment