Remembering Nida Fazli

 

उस के दुश्मन हैं बहुत आदमी अच्छा होगा

वो भी मेरी ही तरह शहर में तन्हा होगा

इतना सच बोल कि होंटों का तबस्सुम बुझे

रौशनी ख़त्म कर आगे अँधेरा होगा

प्यास जिस नहर से टकराई वो बंजर निकली

जिस को पीछे कहीं छोड़ आए वो दरिया होगा

मिरे बारे में कोई राय तो होगी उस की

उस ने मुझ को भी कभी तोड़ के देखा होगा

एक महफ़िल में कई महफ़िलें होती हैं शरीक

जिस को भी पास से देखोगे अकेला होगा

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