Bheed

बैठा हूँ कुछ लोगोंके साथ
कुछ जाने .... कुछ अजनबी हैं
दुश्मनी तो नहीं है ....  मगर
जज़्बातों की कमी है

सवाल और जवाब हो रहे हैं
किस्से भी सुनाए जा रहें हैं .... मगर
बातें नहीं हो रही है

सभी मंज़िलोंकी तलाश में दौड़ रहे  हैं
साथ सफर भी कर रहे हैं .... मगर
कोई किसी का हमसफ़र नहीं है

मैं इस भीड़ में उस अनजाने को ढूंढ रहा हूँ
जो जीना सीखा दे
ज़िंदगी न सही ... जीने की वजह तो बता दे 

Comments

  1. Apani marji se kahan Apani safar ke ham hain....remembered this ghazal after reading your poetry.
    Nicely written. Loved it.

    ReplyDelete

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