Open thoughts
बहुत साल हो गये अब तो
कोई नाम से याद आता नहीं
कानोंमें गूँजती है उसकी आवाज़
पर कोई पुकारता नहीं
उम्मीद - ए - वफ़ा अब भी क़ायम है
जो राह तकते रहते हैं
नींद तो आने से रही आंखोंमें
पर सपने देखते रहते हैं
सवाल करता हूँ अपने आप से
जवाब भी खुद ही देता हूँ
ज़िन्दगी, तुझसे चाह तो नहीं
यूहीं मुस्कराता रहता हूँ
कोई नाम से याद आता नहीं
कानोंमें गूँजती है उसकी आवाज़
पर कोई पुकारता नहीं
उम्मीद - ए - वफ़ा अब भी क़ायम है
जो राह तकते रहते हैं
नींद तो आने से रही आंखोंमें
पर सपने देखते रहते हैं
सवाल करता हूँ अपने आप से
जवाब भी खुद ही देता हूँ
ज़िन्दगी, तुझसे चाह तो नहीं
यूहीं मुस्कराता रहता हूँ
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