Raatonko uth uth kar

While idle surfing Youtube I found this song Raatonko Uth Uth Kar sung by Gurdas Mann. The song has some really good lyrics but the way the video has been picturised is exactly in another mood.

रातोंको उठ उठ कर जिनके लिये रोते हैं

वो अपने मकानोंमें आरामसे सोते हैं

कुछ लोग ज़मानेमें ऐसे भी तो होते हैं

मेहफ़िलमें तो हसते हैं तनहाइयोंमें रोते हैं


दीवानोंकी दुनिया का आलमही निराला है

हसते है तो हसते है रोते है तो रोते है

किस बात का रोना है किस बात पे रोते है

कश्ति के मुहाफ़िज़ ही कश्ति को डुबाते हैं


कुछ ऐसे दिवाने हैं सूरज को पकडते है

कुछ लोग उम्र सारी अंधेराही होते हैं

जब ठेस लगी दिलपर तो राज़ खुला हम पर

वो बात नही करते नश्तर से चुभोते हैं


मेरे दर्द के टुकडे हैं ये शेर नही सागर

हम सांस के धागोंमें ज़ख्मोंको पिरोते हैं

रातोंको उठ उठ कर जिनके लिये रोते हैं

वो अपनी शबिस्तर में आरामसे सोते हैं


मुहफ़िज़ = person who knows

नश्तर = knife


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