Just random poetry - 5

 ख़्वाहिशोंके दश्त से अब दूर तो हुआ हूँ मैं
पर अपनी ही हसरतों से बेजार हुआ हूँ मैं
एहसान तुम्हारा, तुम्हे ख़याल भी आया, पर  
तेरे एहसासों के दरिया में, अब भी प्यासा हूँ मैं 

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