Just Random poetry
गधे पर बैठने तक की औकात नही है पर सारे घुड़सवार बन बैठे है बड़े ही शातिर ये लोग है सारे ही चौकीदार बन बैठे है -- x -- मुझसे उम्र भर साथ रहने की बात ना करो मुझे पल भर मुस्कराने की सज़ा मालूम है -- x -- देखूँ तो जगमगाहट खूब है बाहर पर क्यों अंदर से बूझे हुए है लोग रास्ता बनाना तो दूर रहा क्यों अपने ही रास्ते पे रुके हुए है लोग -- x -- उस रात यूँ नजर आया के सितारें जमीन पे चल रहे थे पास गया तो देखा जुगनू उसके पाँव चूम रहे थे -- x -- आज तक खड़े है हम वजह पूछने का न कभी मौका मिला लहजा तो वो बदलते गए और अजनबी हमें कहते गए --x-- दुनिया के शोर का यूँ हुआ असर मुझपे मेरी ख़ामोशी भी गनगुनाने लगी है मुझपे -- x -- देखा है दुनिया को बहुत नज़दीक से यूँ ही नहीं दूर बैठा हूँ सभी से -- x -- एक हसरत है के अपना घर तेरे घर के करीब होता बात करना नामुमकिन सही पर देखना तो नसीब होता -- x -- कहाँ तक ये रास्ते जाते हैं , कहाँ पर था मोड़ अब याद नहीं बस जो मिल गया वो पास रहा, किसे था चाहा अब याद नहीं -- x -- क्या से क्या हो गए हम एक छोटा सा ...