बस अब तो आ जाना तुम
आंखें
मेरी आज भी तेरी आवाजों के साये तलाशती है
लब
मेरे आज भी तेरे होटोंकी खुशबू के लिए तरसते हैं
मैं
.... आज भी तुम्हारी वो मुस्कान सुन लेता हूँ
तुम्हारी सांसोंकी गरमी आज भी अपने सीने पर महसूस कर लेता हूँ
यूँही टूटी
नींद से जागे लम्होंको
आज
भी लोरी सुनाकर सुला देता हूँ आज भी एहसास बयाँ करने लफ्जोंको टटोलता हूँ
बहुत सारी बातें हैं
सोचू .... तो पल्कोंसे कई यादें बह जाती हैं
आज
फिर से उन जेवरोंको को सजाए रखा है
बहुत
सारी सुबहों को सींचे रखा है जो पसंद आये रख लेना तुम
बस अब तो आ जाना तुम
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