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Khafaa... Apne Aap Se

मैं बस अपने दिल की खामोशियोंसे बात करता हूँ दोस्त भी आये तो नज़रन्दाज़ करता हूँ  खुशबू भी आये कभी चमन से मैं अपनी साँसे बंद करता हूँ कोई पास भी आये बाहें फैलायें मैं बस दूर से ही सलाम करता हूँ कभी नींद भी आये पल्कोंमें मेरे मैं करवट बदल उससे पर्दा करता हूँ ज़िंदगी कभी सुकून भी ले आती है मैं दिल पे ज़ख्म कर लेता हूँ  हाँ मैं अपने आपसे भी खफा हूँ

Besharam Rang

We have had so many songs in Hindi films where the hero is being seduced by the woman. In the 1950’s & 60’s it was mostly the vamp who used to indulge in such nefarious behaviour. The heroine too did it but it was a rarity. Think of Meena Kumari in “Sahib Bibi Aur Ghulam” singing “Na jaao Saiyya Chhudaake baiyya” or a Madhubala singing “Aaiye Meherbaan” in “Howraah Bridge”.   Towards the end of 60’s and in the 70’s the heroine was presented in some light grey colors. She tried to seduce him playfully, the way Tanuja did in “Raat Akeli Hai - Jewel Thief”. Mumtaz doing a “Do Ghoont Mujhe Bhi Pila De” in “Jheel Ke Us Paar” to the act to some level of perversity. Post 1970, the Hindi film heroine’s became more willing to shed clothes on screen and the trend became firmly established. In a nutshell, Hindi film heroines openly seducing the hero is nothing new. बेशरम रंग is just a victim of politics . Coming to the song - Sharam means modesty, so literarily translated, “Besha...

Missed Opportunities

 "Missed opportunities" ज़िन्दगी की भीड़ में सन्नाटे पलते गये   हर खुशी के नाम पर ज़ख़्म ही मिलते गये   बस एक उम्मीद की लौ दिल में जलती रही   अब समझे के हम बस ख्वाबों के जुलूस में चलते रहे।   चाँदनी न रह सकी , धूप में जो खो गये   रंग सारे पलकों से अश्क बनके रो गये   क़स्में , वादे , ख्वाब सब हवा में उड़ते रहे   हम तो वही थे, पर रास्ते बदलते रहे।   अश्क = Tears जो सितारे साथ थे , रात में बिखर गये   ख़्वाहिशों की चादरों में चुपके से सहर गये   जिनका था सम्मान किया वो तो खुद के ही साए बन गये   उन्हीकी धुप में हम कितने साल सिहरते रहें  सिहरना = Shivers क्यूँ नफ़रतें सीने में हर शख़्स पालता है ,   क्यूँ प्यार के बदले कोई जंग डालता है ?   बात जो दिलों से हो हल्की सी मुस्कान में ,   वो ही सवाल तलवारों में ढलते रहे।  

Tum

  तूम हर लम्हा अब तेरे नाम का , जैसे इक दुआ बन गया तेरे बिन जो अधूरा था मैं , अब तेरा पता बन गया तेरे बिना साँसें चलती थीं , पर हर पल अधूरी सी तेरे आने से ही जैसे , ज़िंदगी खुद में हुई पूरी सी मुस्कराती हो तूम तो भीगने लगे हर सपना बाहों के साए में तेरे, मिल गया खुद से अपना  रातों से जब पूछा मैंने “ सुबह कहाँ है मेरी ?” तेरी हँसी में जो चमका , वही सुबह की सेहरी तू जो पास है , तो हर एक पल गीत बने तपती धूप में , जमीं भी प्रीत बने तू जो मुस्कुरा दे ज़रा , तो हर दर्द भी सो जाए तेरे साये में ही ये दिल , खुद से भी रोशन हो जाए बातें तेरी लोरी बनके , रातों में गूँजती हैं तेरे ख़्वाबों की गलियों में , मेरी सुबहें रूठती हैं अब तो ... साँसों की रवानी भी , बस तुझसे ही जुड़ी है ज़िंदगी की तस्वीर भी , तेरी बातों से सजी है