Kyo Naa
यूँ तो किनारे किनारे रोज़ ही हम चलें क्यों ना आज मझधार तैर कर चलें कितनी ही बार जाते जाते लौटके आए क्यों ना आज यूँ चलें के बस वो चलें ज़िन्दगी भर दूसरोंका दिल दुखाते ही जीये क्यों ना आज आखरी बाज़ी हार कर चलें तमाम उम्र बीती ... बस जरूरतोंके पीछे चले क्यों न रूह को आज जिस्म से जुदा कर चलें